परिचय: UNSC में पाकिस्तान और भारत का आमना-सामना
पाकिस्तान जब 1 जुलाई 2025 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का अस्थाई अध्यक्ष बनने जा रहा है, ठीक उसी समय भारत ने वैश्विक आतंकवाद पर अपने बेबाक रुख से दुनिया का ध्यान खींचा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का खुलासा करते हुए चेतावनी दी कि भारत सीमापार आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेगा । क्या भारत की ‘कड़ा जवाब’ नीति दक्षिण एशिया में नई दिशा तय कर रही है?
भारत की आतंकवाद नीति: सख्त संदेश और बदलती रणनीति
- सीमा पार आतंकवाद पर प्रतिउत्तर: भारत अब आतंकवादियों के ठिकानों को केवल जवाबी कार्रवाई तक सीमित नहीं रखता। 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के नौ शहरों में आतंकियों के ठिकाने नष्ट करने की मिसाल से यह स्पष्ट हो गया है।
- परमाणु ब्लैकमेल पर रुख: जयशंकर की टिप्पणी ने भारत के आत्मविश्वास को उजागर किया – अब परमाणु धमकी भी भारत को कठोर जवाब देने से नहीं रोक सकती।
- न्याय और भेदभाव के बिना कार्रवाई: भारत अब आतंकी संगठनों के साथ-साथ उन्हें समर्थन देने वाली सरकारों के खिलाफ भी बिना भेदभाव के कार्रवाई को वरीयता देता है।
पाकिस्तान की यूएनएससी अध्यक्षता: नए खतरे या ‘कश्मीर कार्ड’?
- पाकिस्तान अपने एक महीने के UNSC अध्यक्षीय कार्यकाल में कश्मीर मुद्दे को फिर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश कर सकता है।
- वैश्विक मंच पर पाकिस्तान अकसर आतंकवाद के मुद्दे को ढंकने का प्रयास करता रहा है, लेकिन भारत की सक्रिय कूटनीति ने बार-बार पाकिस्तान के आतंक निर्यातक चेहरे को उजागर किया है।
क्यों जरूरी है भारत की आक्रामक कूटनीति?
- पर्यटन, अर्थव्यवस्था और सामाजिक समरसता की रक्षा: पहलगाम हमला सिर्फ सुरक्षा पर ही नहीं, बल्कि कश्मीर की आर्थिक रीढ़ – पर्यटन – पर था।
- धार्मिक भड़काऊ राजनीति को नाकाम करना: लक्षित हत्याओं के जरिये धार्मिक विभाजन फैलाने की साजिश भी भारत की नीति के केंद्र में है।
- वैश्विक शक्ति बनते भारत की छवि: अंतरराष्ट्रीय कानूनों और प्रतिबंध समितियों में भारत अपनी भूमिका मजबूत करने में जुटा है, जिससे आतंकवाद पर वैश्विक एकजुटता को बल मिले।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और संभावित खतरे
- पाकिस्तान जैसे देश UNSC की भूमिका का दुरुपयोग कर सकते हैं।
- क्या भारत की नीति वैश्विक समर्थन पाने में सफल होगी? कूटनीति, सैन्य संतुलन और मीडिया का प्रभाव यहाँ अहम है।
सवाल जो लोग पूछते हैं (FAQ)
Q. भारत के ऑपरेशन सिंदूर की क्या खासियत थी? A. यह ऑपरेशन सीमापार आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर त्वरित सर्जिकल स्ट्राइक की तरह चलाया गया, जिसमें नौ शहरों में स्थित ठिकाने नष्ट किए गए।
Q. क्या UNSC में पाकिस्तान कश्मीर पर असर डाल सकता है? A. अस्थायी अध्यक्षता सीमित अवधि के लिए होती है, स्थायी सदस्य और वैश्विक शक्ति संतुलन भारत के पक्ष में रहते हैं।
Q. भारत की नीति क्यों बदल रही है? A. लक्षित आतंकी हमलों, अंतरराष्ट्रीय समर्थन और घरेलू सुरक्षा चुनौतियों के दबाव ने भारत की नीति को पहले से अधिक आक्रामक और स्पष्ट बनाया है।
निष्कर्ष: पाकिस्तान पर बढ़ता अंतरराष्ट्रीय दबाव
भारत ने न केवल पाकिस्तान की आतंकी नीति को उजागर किया है, बल्कि यह भी सिद्ध किया है कि अब सीमापार आतंक और धर्म के नाम पर राजनीति के खिलाफ भारत निर्णायक कदम उठाने को तैयार है। यूएनएससी जैसी संस्थाओं में भारत का आक्रामक रुख इस क्षेत्र के संतुलन और वैश्विक सुरक्षा के लिहाज से अहम हो गया है।
क्या दक्षिण एशिया के लिए यह बदलाव का युग है? भारत की रणनीति आने वाले समय में पड़ोसी और वैश्विक नीतियों को कैसे प्रभावित करेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
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