दलाई लामा के पुनर्जन्म को लेकर विवाद क्यों?
आजकल ऑनलाइन चर्चा का एक बड़ा विषय है – "दलाई लामा का पुनर्जन्म किसके अधिकार में है?" जैसे ही दलाई लामा की 90वीं वर्षगांठ नज़दीक आई, चीन और भारत के बीच इस मुद्दे पर बयानबाज़ी तेज हो गई है। जहां चीन का कहना है कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया पर उनका अधिकार है, वहीं भारत ने तटस्थ रुख अपनाते हुए धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। आइए जानते हैं इस विवाद के पीछे की गहराई और तिब्बती बौद्ध धर्म की पुनर्जन्म परंपरा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य।
तिब्बती बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म: सदियों पुरानी परंपरा
- पुनर्जन्म की मान्यता: तिब्बती बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म, यानी लामा की आत्मा का नए शिशु में जन्म लेना, एक अत्यंत महत्वपूर्ण परंपरा है।
- पीढ़ियों से चली आ रही प्रक्रिया: यह परंपरा 700 साल से भी ज्यादा पुरानी है; करीब 1000 से अधिक पुनर्जन्म वाले लामा तिब्बत और आस-पास के क्षेत्रों में माने जाते हैं।
चीन बनाम तिब्बती धार्मिक प्रथाएँ
- चीन का रुख: चीन बार-बार कहता है कि तिब्बती धार्मिक नेताओं के चयन के लिए उसकी सरकारी मंजूरी ज़रूरी है, कानून और पुराने चीनी रिवाजों का पालन होना चाहिए।
- तिब्बतियों का विरोध: तिब्बती लोगों और निर्वासित सरकार का मानना है कि दलाई लामा और धार्मिक संस्थाएं ही इसके लिए अधिकृत हैं।
भारत की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- सरकारी बयान: भारत ने साफ कहा है कि धार्मिक विषयों में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है। हालांकि, कुछ मंत्री जैसे कि किरन रिजिजू ने दलाई लामा के अधिकार का समर्थन जरूर किया है।
- दुनिया भर में असर: यह मुद्दा न सिर्फ धार्मिक, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी संवेदनशील है।
कौन तय करेगा दलाई लामा का उत्तराधिकारी?
संभावित विकल्प –
- दलाई लामा तथा पारंपरिक बौद्ध समुदाय
- चीनी सरकार की स्वीकृति
- आम तिब्बती श्रद्धालु या निर्वासित सरकार
ताजा विवादों और मौजूदा रूझानों का असर
- चीन की 'संस्कृतिक नरसंहार' पर आरोप: निर्वासित तिब्बती राष्ट्रपति पेंपा त्सेरिंग ने चीन पर तिब्बती पहचान मिटाने का आरोप लगाया है।
- भविष्य की आशंकाएँ: अगर चीन अपने हिसाब से अगले दलाई लामा को मान्यता देता है, तो दो समानांतर दलाई लामा उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे अनुयायियों में भ्रम और विवाद बढ़ सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1: तिब्बती बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म क्या है? A: जब कोई उच्च धार्मिक व्यक्ति (लामा) मरता है, तो उसकी आत्मा एक नए बच्चे में पुनर्जन्म लेती है जिसे पहचान कर नई पीढ़ी का गुरु माना जाता है।
Q2: चीन को इस प्रक्रिया में दखल देने का अधिकार है? A: तिब्बती परंपरा के अनुसार नहीं, लेकिन चीन राजनीतिक कारणों से इसमें दखल देना चाहता है।
Q3: भारत सरकार की क्या नीति है? A: भारत सरकार का कहना है कि वे धार्मिक मामलों में कोई पक्ष नहीं लेती।
निष्कर्ष: भविष्य में क्या?
दलाई लामा का पुनर्जन्म विवाद तिब्बती पहचान, धार्मिक स्वतंत्रता और चीन-भारत के बीच रिश्तों की गांठ बनता जा रहा है। यह सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कूटनीति और स्थानीय भावनाओं का भी मामला है। आने वाले वर्षों में इस विषय पर और बहसें तथा चर्चाएँ देखने को मिलेंगी।
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