भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है, लेकिन अब भारत इसकी स्थायी रूप से समाप्ति की मांग कर रहा है। यह एक साहसिक कदम है, जो दोनों देशों के हित में भी है, पर चुनौतियाँ बहुत जटिल हैं।
मुख्य विवाद क्या है?
भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख़ में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के कई हिस्से अब भी विवादित हैं। 1962 के युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच अविश्वास की गहरी खाई बनी रही है। हाल के वर्षों में गलवान घाटी की घटना (2020) ने भरोसे को और भी कमज़ोर कर दिया।
अब स्थायी समाधान क्यों ज़रूरी है?
- सामरिक स्थिरता: दोनों देशों की सेनाओं के बीच बार-बार की तनातनी न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा, बल्कि स्थानीय नागरिकों के जीवन पर भी सीधा असर डालती है।
- आर्थिक संभावनाएँ: यदि सीमा विवाद शांतिपूर्ण ढंग से सुलझता है तो क्षेत्रीय व्यापार और निवेश के रास्ते खुल सकते हैं।
- एशिया में शक्ति संतुलन: भारत और चीन एशिया की दो महाशक्तियाँ हैं। इनके रिश्तों का असर पूरे क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति पर पड़ता है।
कौन-कौन सी प्रमुख चुनौतियाँ हैं?
चुनौती | भारत की दृष्टि | चीन की दृष्टि |
---|---|---|
ऐतिहासिक दावा | ब्रिटिश कालीन नक्शों पर आधारित | PRC की ऐतिहासिक मैपिंग |
रणनीतिक हित | हिमालयी सुरक्षा, पूर्वोत्तर | तिब्बत की सुरक्षा, OBOR |
घरेलू राजनीति | राष्ट्रीय अस्मिता मुद्दा | मजबूत केंद्रीय नेतृत्व |
समझौते की राह में बाधाएँ
- आपसी अविश्वास: विशेषकर सैन्य गतिरोधों के बाद पारदर्शिता की कमी।
- स्थानीय प्रभाव: कई बार स्थानीय समुदायों की मंशा अनदेखी रह जाती है।
- भूराजनीतिक दवाब: अमेरिका, रूस, और क्वाड जैसे मंच भी दृश्य को जटिल बनाते हैं।
क्या नई उम्मीदें उभर रही हैं?
- खुला संवाद शुरू होना, हॉटलाइन और सैन्य कमांड स्तर की वार्ताएँ सकारात्मक संकेत हैं।
- भारत के लिए अब समय आ गया है कि वह अपने दीर्घकालिक हितों के लिए स्पष्ट रणनीति बनाए, न कि सिर्फ सामरिक प्रतिक्रियाओं तक सीमित रहे।
व्यापक संदर्भ
सीमा विवाद का समाधान न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है, बल्कि यह पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शांति व स्थिरता स्थापित करने की कुंजी भी है। भारत द्वारा उठाया गया यह पहल दूरगामी परिणाम ला सकता है—यदि दोनों देश साहस और इच्छाशक्ति दिखाएँ।
This article was inspired by the headline: 'India seeks permanent solution to border dispute with China - Reuters'.
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