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भारत-अमेरिका ट्रेड डील 2025: डेडलाइन या राष्ट्रीय हित?
2025 में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता (Trade Deal) पर चर्चा जोरों पर है, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा 9 जुलाई की डेडलाइन तय करने के बाद। लेकिन क्या भारत जल्दबाज़ी में समझौता करेगा या अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च मानेगा? इस आर्टिकल में जानिए अहम पक्ष, संभावित रुकावटें और फ्यूचर ट्रेड ट्रेंड्स।
अमेरिकी ट्रंप सरकार की ट्रेड डेडलाइन और भारत की प्रतिक्रिया
- अमेरिका ने सभी देशों को 9 जुलाई तक अपने ट्रेड डील तय करने को कहा है।
- भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने साफ़ किया है कि भारत डेडलाइन के दबाव में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर ही कोई समझौता करेगा।
- अमेरिका द्वारा आयात पर 26% टैरिफ लगाने की धमकी के बाद फिलहाल 10% अस्थायी शुल्क लगाया गया है।
भारत-अमेरिका व्यापार विवाद: प्रमुख मुद्दे
- टैरिफ पर असहमति: कार पार्ट्स, स्टील और कृषि उत्पादों पर टैरिफ को लेकर दोनों देशों में मतभेद हैं।
- एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर: भारत अपनी कृषि और डेयरी इंडस्ट्री को विदेशी प्रतिस्पर्धा के लिए खोलने में संकोच कर रहा है।
- भारत की मांग: अमेरिका में भारतीय सामान को वियतनाम और चीन की तरह फेवरटेबल टैरिफ प्रदान किया जाए।
व्यापार समझौतों को लेकर भारत की रणनीति
- भारत हमेशा 'विन-विन' यानि दोतरफा फायदेमंद समझौते का पक्षधर रहा है।
- भारत WTO में भी अमेरिकी टैरिफ पर जवाबी उपाय की घोषणा कर चुका है, जो $2.89 अरब के निर्यात को प्रभावित करता है।
क्या होंगे भविष्य के भारतीय ट्रेड समझौतों के ट्रेंड्स?
- FAIR TRADE बनाम FREE TRADE: भारत अब निष्पक्ष व्यापार के सिद्धांत को प्राथमिकता दे रहा है।
- डिजिटल ट्रेड और टेक्नोलॉजी: 2025 में टेक्नोलॉजी, डेटा प्रोटेक्शन जैसे मुद्दे भी ट्रेड डील्स में उभर सकते हैं।
- हरित अर्थव्यवस्था (Green Economy): क्लाइमेट चेंज और सस्टेनेबिलिटी को भी समझौतों में जगह मिलने लगी है।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील: सामान्य सवाल (FAQ)
- क्या भारत और अमेरिका के बीच जल्द ट्रेड डील हो जाएगी?
- डेडलाइन करीब है, लेकिन भारत बिना पर्याप्त फायदा पाए, डील करने की जल्दी में नहीं है।
- किस मुद्दे पर सबसे ज्यादा असहमति है?
- कृषि, डेयरी, स्टील और कार पार्ट्स पर टैरिफ—ये मुख्य विवाद बिंदु हैं।
- अमेरिका द्वारा टैरिफ का असर किस पर पड़ेगा?
- भारतीय निर्यातकों पर और खासतौर पर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर ये असर डालेगा।
निष्कर्ष: भारत की प्राथमिकता—राष्ट्रीय हित सर्वोपरि
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के मौजूदा दौर में, भारत सरकार राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि मानते हुए वैश्विक दबावों से परे निष्पक्ष, समावेशी और दीर्घकालीन लाभ देने वाले समझौतों की तलाश में है। यह रुख आने वाले वर्षों की वैश्विक व्यापार रणनीतियों के लिए भी महत्वपूर्ण संकेतक है।
[अधिक जानने के लिए पढ़ें: WTO पर भारत का स्टैंड, US-India Trade History, और Global Free Trade Trends]
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