परिचय
हाल ही में भारत में लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व नाम Twitter) पर रॉयटर्स, TRT और Global Times जैसे इंटरनेशनल मीडिया अकाउंट्स के ब्लॉक होने की खबर सामने आई। यह मामला डिजिटल सेंसरशिप, भारत सरकार के नियमों और सोशल मीडिया गवर्नेंस पर एक नई बहस को जन्म देता है। सरकार ने स्पष्ट किया कि इन अकाउंट्स की ब्लॉकिंग के लिए कोई आधिकारिक डिमांड नहीं थी। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि ऐसे विवाद क्यों होते हैं, डिजिटल फ्रीडम की स्थिति और भारत में सोशल मीडिया रेगुलेशन के नियम क्या हैं।
भारत में सोशल मीडिया से कंटेंट क्यों हटाया जाता है?
- कानूनी आदेश: यदि किसी पोस्ट या अकाउंट से राष्ट्रीय सुरक्षा, सांप्रदायिक सौहार्द, या सरकारी भरोसे पर असर पड़ता है, तो भारतीय कानूनों के अंतर्गत सोशल मीडिया कंपनियों को कार्रवाई करनी पड़ती है।
- स्थानीय कानूनों का पालन: आईटी एक्ट (IT Act) जैसे कानून कंपनियों से अपेक्षा रखते हैं कि वे सरकार या कोर्ट के आदेश आने पर कंटेंट हटाएं।
- स्व-नियमन: कंपनियां अपनी नीति के अनुसार, आपत्तिजनक या फेक न्यूज फैलाने वाले खातों को भी हटा सकती हैं।
X (ट्विटर) जैसे प्लेटफॉर्म पर अकाउंट ब्लॉकिंग: कैसे और क्यों?
- प्लेटफॉर्म्स के पास एक 'लीगल डिमांड' प्रोसेस होता है। उन्हें जब कानूनी नोटिस/शिकायत मिलती है, वे स्थानीय कानूनों के तहत कंटेंट एक्सेस बंद कर सकते हैं।
- अकाउंट के साथ “Withheld in India via legal demand” का संदेश दिखाना कंपनी की ट्रांसपेरेंसी पॉलिसी का हिस्सा है।
- कई बार टेक्निकल एरर, फर्जी शिकायत या प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी की वजह से भी ऐसे विवाद सामने आते हैं।
भारत सरकार की भूमिका: नियंत्रण या संरक्षण?
- भारत सरकार डिजिटल स्पेस में संतुलन चाहती है, जहां राष्ट्रहित और नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दोनों सुरक्षित रहें।
- नए IT Rules (2021 के बाद) कंपनियों पर तेजी से रिपोर्ट करने और विवादित कंटेंट हटाने की जिम्मेदारी डालते हैं।
- बड़े प्लेटफॉर्म जैसे X, Meta, Google आदि को 'Grievance Officer' नियुक्त करना होता है।
ग्लोबल ट्रेंड्स और बहस: फ्री स्पीच बनाम सेंसरशिप
- अमेरिका और यूरोप में फ्री स्पीच को लेकर कानून अपेक्षाकृत उदार हैं, जबकि भारत, तुर्की और चीन जैसे देशों में सख्ती ज्यादा है।
- ऐप्स जैसे Telegram, Signal, और Instagram Reels में भी कंटेंट पर मॉडरेशन लगातार बहस का मुद्दा है।
- यूजर्स की राय बंटी हुई है: कुछ सरकारी सेंसरशिप को जरूरी मानते हैं, जबकि कई नागरिक इंटरनेट फ्रीडम और पारदर्शिता की मांग करते हैं।
भारत में सोशल मीडिया सेंसरशिप से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
क्या भारत सरकार सोशल मीडिया अकाउंट्स ब्लॉक करती है?
- हां, कानूनी जरूरत पड़ने पर सरकार भ्रामक, भड़काऊ या देशविरोधी कंटेंट को हटवाने या ब्लॉक करवाने के लिए प्लेटफॉर्म्स को निर्देश देती है।
X (ट्विटर) पर 'withheld in India' क्या है?
- इसका मतलब है कि उस कंटेंट/अकाउंट को भारत में किसी कानूनी मांग के तहत दिखना बंद कर दिया गया है।
मुझ पर गलत शिकायत के कारण अकाउंट ब्लॉक हो जाए तो क्या करें?
- आप प्लेटफॉर्म्स के सपोर्ट अथवा ग्रिवेंस ऑफीसर को अपील कर सकते हैं और स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है।
क्या सरकार के पास हर सोशल मीडिया पोस्ट को मॉनिटर करने की शक्ति है?
- सरकार सिर्फ अनुचित कंटेंट के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है, हमेशा हर पोस्ट पर नजर रखना व्यावहारिक नहीं है।
निष्कर्ष
डिजिटल फ्रीडम और सोशल मीडिया सेंसरशिप के बीच बहस सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक भी है। भारत जैसे देशों में ऑनलाइन कंटेंट को लेकर कानून विकसित हो रहे हैं। यूजर्स, सरकार और प्लेटफॉर्म्स — सभी की साझी जिम्मेदारी है कि वे सत्य, स्वतंत्रता और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाएं रखें। सोशल मीडिया पर आजादी और गवर्नेंस दोनों की जरूरत है; समझदारी और पारदर्शिता ही आगे बढ़ने का रास्ता है।
यदि आप अपने डिजिटल अधिकारों या सोशल मीडिया सेंसरशिप से जुड़े बारे में और जानना चाहते हैं, तो स्थानीय IT Laws और प्लेटफॉर्म की Community Guidelines जरूर पढ़ें।
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